सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितम्बर, 1965 को अमेरिका के ओहियो राज्य में यूक्लिड नगर (स्थित क्लीवलैंड) में हुआ था। इनका पूरा नाम सुनीता लिन पांड्या विलियम्स था। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी 'नासा' के माध्यम से अंतरिक्ष जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। यह भारत के गुजरात के अहमदाबाद से ताल्लुक रखती है। सुनी (सुनीता) की माँ बॉनी जालोकर पांड्या स्लोवेनिया की हैं। सुनीता विलियम्स का एक बड़ा भाई जय थॉमस पांड्या और एक बड़ी बहन डायना एन, पांड्या है। जब सुनीता एक वर्ष से भी कम की थी तभी पिता 1958 में अहमदाबाद से अमेरिका के बोस्टन में आकर बस गए थे। हालाँकि बच्चे अपने दादा-दादी, ढेर सारे चाचा-चाची और चचेरे भाई-बहनों को छो़ड़ कर ज्यादा खुश नहीं थे, लेकिन परिवार ने पिता दीपक को उनके चिकित्सा पेशे में प्रोत्साहित किया।इन्होंने एक महिला अंतरिक्ष यात्री के रुप में 194 दिन, 18 घंटे रहकर नया विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। उनके पिता दीपक पांड्या अमेरिका में एक डॉक्टर हैं।
शिक्षा और विवाह
ओहियो के यूक्लिड शहर में जन्मी सुनीता मूलतः मैसाचुसेट्स की निवासी हैं। उनका विवाह माइकल जे. विलियम्स से हुआ। वे नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परीक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक, गोताखोर, तैराक, धर्मार्थ धन जुटाने वाली, पशु-प्रेमी, मैराथन धावक और अब अंतरिक्ष यात्री एवं विश्व-कीर्तिमान धारक हैं। उन्होने एक साधारण व्यक्तित्व से ऊपर उठकर अपनी असाधारण उन्होंने माइकल जे. विलियम्स से विवाह किया है। मैसाचुसेट्स से ही हाई स्कूल पास करने के बाद 1987 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की नौसैनिक अकादमी से फिजिकल साइन्स में बीएस (स्नातक उपाधि) की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात 1995 में उन्होंने फ़्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टैक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में एम.एस. की उपाधि हासिल की।
नासा में चयन
जून 1998 में उनका अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में चयन हुआ और प्रशिक्षण शुरू हुआ। सुनीता भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं जो अमरीका के अंतरिक्ष मिशन पर गईं। सुनीता विलियम्स ने सितंबर / अक्तूबर 2007 में भारत का दौरा भी किया। जून, 1998 से नासा से जुड़ी सुनीता ने अभी तक कुल 30 अलग-अलग अंतरिक्ष यानों में 2770 उड़ानें भरी हैं। साथ ही सुनीता सोसाइटी ऑफ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलेट्स, सोसाइटी ऑफ फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर्स और अमेरिकी हैलिकॉप्टर एसोसिएशन जैसी संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं।
व्यक्तित्व
सुनीता विलियम्स ‘महिला एक, व्यक्तित्व अनेक’ की सच्ची कहानी है। सुनीता विलियम्स नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परीक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक, गोताखोर, तैराक, धर्मार्थ धन जुटाने वाली, पशु-प्रेमी, मैराथन धाविका और अब अंतरिक्ष यात्री एवं विश्व-कीर्तिमान धारक हैं। एक साधारण व्यक्तित्व से ऊपर उठकर सुनीता ने अपनी असाधारण संभाव्यता को पहचाना और कड़ी मेहनत तथा आत्मविश्वास के बल पर उसका भरपूर उपयोग किया। अपनी असाधारण सफलता से उन्होंने उन लोगों के लिए एक प्रतिमान तैयार किया है, जो उनके पदचिह्नों पर चलना चाहते हैं। यह सफलता उन्होंने अपने स्नेही और सहयोगी परिवार व मित्रों के सहयोग से प्राप्त की है।
नासा कैरियर
सुनीता विलियम्स का जून 1998 में नासा के द्वारा चयन हुआ तथा अगस्त 1998 से नासा के जॉन्सन अंतरिक्ष केन्द्र में उनका प्रशिक्षण प्रारम्भ हो गया। उनके प्रशिक्षण में शामिल चीजें थीं, विभिन्न प्रकारकी तकनीकी जानकारी एवं टूर्स, अनेक वैज्ञानिक और तकनीकी तंत्रों की ब्रीफिंग, स्पेश शटल और अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की जानकारी, मनोवैज्ञानिक ट्रनिंग और टी-38 वायुयान के द्वारा ट्रेनिंग। इसके अलावा उनकी पानी के अंदर और एकांतवास परिस्थितियों में भी ट्रेनिंग हुई। अपने प्रशिक्षण के दौरान विलियम्स ने रूसी अंतरिक्ष संस्था में भी कार्य किया तथा इस प्रशिक्षण में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के रूसी भाग की जानकारी दी गयी। अंतरिक्ष स्टेशन के रोबोटिक तंत्र के ऊपर भी विलियम्स को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण के दौरान वे मई 2002 में पानी के अंदर एक्वैरियस हैबिटेट में 9 दिन रहीं।
सम्मान और पुरस्कार
कार्यक्षेत्र में अपनी उपलब्धियों से उन्हें नेवी कमेंडेशन मेडल (2), नेवी एंड मैरीन कॉर्प एचीवमेंट मेडल, ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल जैसे कई सम्मानों से सम्मानित किया गया है। सुनीता विलियम्स को सन 2008 में भारत सरकार द्वारा विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।





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