नंददुलारे वाजपेयी का जन्म 4 सितम्बर, 1906 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के मगरायल नामक ग्राम हुआ था। उनके पिता का नाम गोवर्धन लाल वाजपेयी तथा माता का नाम जनकदुलारी था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा हजारीबाग में संपन्न हुई। उन्होंने विश्वविद्यालय परीक्षा काशी हिंदू विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण की।
ये हिन्दी के प्रसिद्ध पत्रकार, समीक्षक, साहित्यकार, आलोचक तथा सम्पादक थे। वे कुछ समय तक 'भारत' के संपादक रहे। नंददुलारे वाजपेयी ने 'काशी नागरी प्रचारिणी सभा' में 'सूरसागर' का तथा बाद में 'गीता प्रेस', गोरखपुर में 'रामचरितमानस' का संपादन किया। वे कुछ समय तक 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' के हिन्दी विभाग में अध्यापक तथा कई वर्षों तक 'सागर विश्वविद्यालय' के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष भी रहे। मृत्यु के समय नंददुलारे वाजपेयी उज्जैन में 'विक्रम विश्वविद्यालय' के उपकुलपति थे।
इनको छायावादी कविता के शीर्षस्थ आलोचक के रूप में मान्यता प्राप्त है। हिंदी साहित्य: बींसवीं शताब्दी, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचन्द, आधुनिक साहित्य, नया साहित्य: नये प्रश्न इनकी प्रमुख आलोचना पुस्तकें हैं। वे शुक्लोत्तर युग के प्रख्यात समीक्षक थे।
विवाह
उनका विवाह सावित्री देवी से 1925 में हुआ था। उस समय वाजपेयी जी लगभग 18 वर्ष के थे। सन 1936 में उनके प्रथम पुत्र का जन्म हुआ। इसके बाद 1941 में पुत्री व 1945 पुर्ण दुसरे पुत्र का जन्म हुआ।
बड़ बेटे स्वस्ति कुमार वाजपेयी जो पेशे से डॉक्टर थे।
उनका विवाह सावित्री देवी से 1925 में हुआ था। उस समय वाजपेयी जी लगभग 18 वर्ष के थे। सन 1936 में उनके प्रथम पुत्र का जन्म हुआ। इसके बाद 1941 में पुत्री व 1945 पुर्ण दुसरे पुत्र का जन्म हुआ।
बड़ बेटे स्वस्ति कुमार वाजपेयी जो पेशे से डॉक्टर थे।
बेटी पदमा का विवाह इलाहाबाद में पं॰ उमा शंकर जी शुक्ल के बेटे करूण शंकर जी सें हुआ था। वे जम्बु में स्टील सिटी प्लान्ट में जनरल मेंनेजर थे।
छोटे बेटे सूनृत जी का जन्म 14.1.1945 में मक्रर संक्राति को काशी में हुआ था।
छोटे बेटे सूनृत जी का जन्म 14.1.1945 में मक्रर संक्राति को काशी में हुआ था।
वे कुछ समय तक "भारत", के संपादक रहे। उन्होंने काशी नागरीप्रचारिणी सभा में "सूरसागर" का तथा बाद में गीता प्रेस, गोरखपुर में रामचरितमानस का संपादन किया। वाजपेयी जी कुछ समय तक काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदीविभाग में अध्यापक तथा कई वर्षों तक सागर विश्वविद्यालय के हिंदीविभाग के अध्यक्ष रहे। मृत्यु के समय वे विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के उपकुलपति थे।
11 अगस्त 1967 को उज्जैन में हिंदी के वरिष्ठ आलोचक आचार्य वाजपेयी जी का अचानक निधन हो गया जिससे हिंदी संसार की दुर्भाग्यपूर्ण क्षति हुई।
कृतियाँ
वाजपेयी जी ने अनेक आलोचनात्मक ग्रंथों की रचना की है जिनमें प्रमुख हैं -
जयशंकर प्रसाद,
आधुनिक साहित्य,
हिंदी साहित्य : बीसवीं शताब्दी,
नया साहित्य : नए प्रश्न,
साहित्य : एक अनुशीलन,
प्रेमचंद : एक साहित्यिक विवेचन,
प्रकीर्णिका,
महाकवि सूरदास,
महाकवि निराला

0 comments: